"आंसू टपक रहे है , भारत के बाग से .
रूहे लिपट के रोती है , हर खासो आम से .
अपनों ने बुना था हमें भारत के नाम से .
फिर भी यहाँ जिंदा है हम , गैरों के दिए हुए नाम इंडिया से ."
सुविचार
जो तर्क को अनसुना कर दे , वह कहर है .
जो तर्क ही नहीं कर सके , वह मूर्ख है .
और जो तर्क करने का साहस ही नहीं दिखा सके वह , गुलाम है.
अपना देश भारत
जिसको न निज गौरव तथा निज देश पर अभिमान है .
वह नर नहीं , वह पशु निरा है , और मृतक सामान है .
रास्त्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्तजी
हमारे देश का नाम हिंदी में भारत है,
इसलिए ये इंग्लिश में भी BHARAT ही होगा ना की INDIA. This is not a joke.
SAY BHARAT NOW
http://saybharatnow.hpage.com/
http://www.petitiononline.com/A01010/petition.html
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